लैलूंगा: नवरात्रि का प्रथम दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा से प्रारंभ होता है। शैलपुत्री, हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जिन्हें शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। इस दिन साधक माँ शैलपुत्री की आराधना करके आत्मबल, धैर्य और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति का संकल्प लेते हैं।
शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है, और उनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे हाथ में कमल होता है। उनका यह रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना धैर्य और शक्ति से किया जाना चाहिए। नवरात्रि का यह पहला दिन माँ दुर्गा की उपासना का शुभारंभ है, जो हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करता है।
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माँ शैलपुत्री की कृपा से हम अपने जीवन में नई ऊर्जा और साहस का संचार महसूस करते हैं, जो हमें हर चुनौती से लड़ने की प्रेरणा देता है।

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