सीईओ द्वारा की भी शिकायत के बारे में जब पत्रकारों द्वारा उस विषय में जानकारी मांगी जाती है तो सीईओ द्वारा बोला जाता है कि उसके बारे में कुछ नहीं बोलूंगा जो लिखना है आप लिख दो,में दौरे में हु लिख दो
लैलूंगा|आए दिनों कुछ भ्रष्टाचार के मौके के आते हैं और उनका शिकायत लोग हमेशा जनपद पंचायत में जाते हैं पर अधिकारी और बाबू 2 बजे के बाद अपने चेंबर में बैठते हो नहीं और अधिकारियों के साथ उनका शिकायत करते हैं जो ग्रामीण प्रवेश में आते हैं और ग्रामीण अधिकतर जनपद पंचायत जाते हैं काम के शिकायत को लेकर लेकिन कुछ अधिकारों की मिलीभगत से ग्रामीणों का शिकायत नहीं सुना जाता और उन्हें नजर अंदाज कर दिया जाता है और कुछ समय इंतजार करने पर उसे समस्या का हल नहीं हो पता तो समझ में आ जाता है कि हमारा शिकायत सुन नहीं गया और यह काम और नहीं होगा
पंचायत काम कैसा होता है
सरपंच सचिव और पांच के द्वारा एक प्रस्ताव पास किया जाता है वहां ग्राम पंचायत में पास होता है और उसे जनपद पंचायत में दिया जाता है और वहां से उसे प्रस्ताव के लिए यदि पुलिया हो तो पुलिया रोड हो तो रोड उसके लिए जनपद पंचायत या जिला पंचायत के द्वारा फंड जारी किया जाता है और जब वह काम भूमिगत स्तर में आता है तो जो पेपर में होता है उसे कम से कभी अलग या काम होता ही नहीं या कभी पेपर में ही कहा जाता है और उसे काम को ग्राम वासियों द्वारा जनपद पंचायत में शिकायत किया जाता है तो उन्हें सुना नहीं जाया या उसे शिकायत को नजर अंदाज कर दिया जाता है जिससे ग्रामीण या भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलता है
इन सब का शिकायत लगभग जनपद पंचायत में बहुत ही काम जाता है लेकिन जो शिकायत जाता है उसे नजर अंदाज कर भ्रष्टाचार को और बढ़ावा कर दिया जाता है लोग पुलिया रोड हुआ और बहुत सारे चीजों के लिए परेशान होते हैं और उनके द्वारा चुने हुए जो अधिकारी और नेता होते हैं उन्हें खा दिया जाता है
जंगल के अंदर बनते हैं पुलिया और डैम
रोड के किनारे होते हैं वहां प्रोजेक्ट को अच्छे से कर दिया जाता है लेकिन कुछ ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जो जंगल के अंदर या जंगल किनारे या जहां पर घनी आबादी नहीं होती उन्हें सारे प्रोजेक्ट को इंफ्रास्ट्रक्चर के द्वारा खो दिया जाता है या सिर्फ पेपर में ही रहा जाता है इन प्रोजेक्ट को नाम लेने वाले पहुंचते हैं और नहीं बड़े अधिकारी क्योंकि वहां तक कोई लग्जरी वाहन या जो अच्छे क्वालिटी वाले बाइक होते हैं वहां नहीं पहुंच पाते वहां पर फिर किस का ट्रैक्टर जा सकता है उसे जगह पर प्रोजेक्ट किए जाते हैं और उन सब प्रोजेक्ट का भ्रष्टाचार के द्वारा गमन कर दिया जाता है यहां पर सरकार के द्वारा बहुत ही भारी राशि का फंड जारी किया जाता है परंतु यह सारे पैसे भ्रष्टाचार से खत्म हो जाते हैं
जहां पर कोई बड़े अधिकारी जैसे एसडीएम तहसीलदार या कलेक्टर जैसे अधिकारी नहीं जा सकते वहां पर बहुत ही खराब प्रोजेक्ट बनाकर छोड़ दिया जाता है


लोकमत 24 इस मामले पर लगातार नजर रखेगा और आपको आगे की जानकारी देता रहेगा।
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