लैलूंगा :
लैलुंगा के शांति नगर इलाके में बन रहा पुल भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की एक ज्वलंत मिसाल बन गया है। वर्षों से निर्माणाधीन यह पुल न केवल स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत बना हुआ है, बल्कि इसके कारण ऐतिहासिक शिव मंदिर भी पूरी तरह से जलमग्न हो गया है, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए एक बड़ा आघात है।
शिव मंदिर की बर्बादी
इस भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप प्राचीन शिव मंदिर जो पुल के समीप स्थित था, पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। मंदिर, जो वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है, अब प्रशासनिक लापरवाही के चलते पानी में डूब चुका है।
क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस मुद्दे को लेकर प्रशासन को चेताया गया था, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।
- श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट: यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि यह स्थानीय आस्था और परंपराओं का प्रतीक था। अब इसके डूबने से न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि इसे फिर से पुनर्स्थापित करने की उम्मीदें भी धूमिल हो गई हैं।
- जल प्रबंधन की असफलता: पुल निर्माण के दौरान जल निकासी और प्रबंधन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण शिव मंदिर जलभराव का शिकार हो गया। यह प्रशासन की ओर से की गई अनदेखी और लापरवाही को दर्शाता है।
लैलुंगा के शांति नगर में बन रहा यह पुल प्रशासनिक भ्रष्टाचार और धार्मिक धरोहर की अनदेखी का एक गंभीर उदाहरण है। अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो न केवल इस क्षेत्र की जनता का भरोसा सरकारी तंत्र से उठ जाएगा, बल्कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में भ्रष्टाचार की जड़ें और भी गहरी हो सकती हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक चुप्पी साधे रहता है या जनता की आवाज़ सुनी जाएगी।
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