लैलुंगा, 95% आंगनबाड़ी केंद्र महीने में एक सप्ताह से ज्यादा नहीं खोले जाते हैं। और जो आंगनबाड़ी खोलते हैं वह भी कभी 11 कभी बजे खुलते हैं ताजा मामला केराबहार ग्राम का है जहां सहायिका के भरोसे चल रहा है अंगनबाड़ी केंद्र के कार्यकर्ता और सहायिका के निष्कीयता के चलते कुछ ही बच्चे आते है , हमारे सहयोगी ने बताया कि इसे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है वो रोज आंगनबाड़ी नही आ पाते है लोक 24 न्यूज़ में कई बार न्यूज प्रकाशन किया है परंतु इन अधिकारियों के कान में तो जू तक नहीं रेंग रही हैं ।ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुधार करने की कोशिश तक नहीं कर रहे हैं अब देखना यह होगा कि कब तक आंगनबाड़ी केंद्रों को सुधार कर, बच्चों को उनको मिलने वाली सेवाएं सुचारू रूप कब मिल पाएगी।
चित्र के माध्यम से आप और अधिकारी देख सकते है की कुल 4 बच्चे ही आंगनवाड़ी केन्द्र में उपस्थित हैं ऐसा ही लगभग रोज होता है
रीना डनसेना परवेक्षक वर्जन= मेरे द्वारा नियमित रूप से क्षेत्र के द्वारा किया जा रहा है मेरे क्षेत्र में कुल 69 आंगनबाड़ी केंद्र है उनमें से केराबहार आंगनबाड़ी केंद्र भी है जिसकी जांच के लिए में आंगनबाड़ी केंद्र गई थी जहां मुझे किसी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं हुई कार्यकर्ता द्वारा मुझे फोन से तबीयत खराब होने की बात कही गई परंतु हमारे द्वारा पूछे जाने पर कि किसी प्रकार का कोई लेटर प्राप्त हुआ है क्या तो मैडम ने बताया मुझे किसी प्रकार का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है अगर आंगनबाड़ी केंद्र में कुछ कमियां है तो मैं उस पर तुरंत कार्रवाई करूंगी
आंगनबाड़ी केंद्र को सहायिका और कार्यकर्ता द्वारा नियमित रूप से नहीं खोला जाता है न हीं नियमित रूप से पोषक आहार बच्चों को दिया जाता है शासन के नियमानुसार प्रत्येक दिन अलग-अलग भोजन व्यवस्था किया गया है परंतु उसे नियम के अनुसार बच्चों को पोषक आहार नहीं दिया जाता । ऐसे में बच्चों का विकास नहीं हो पायेगा और बच्चे हमेशा ही बीमारी से ग्रसित रहेंगे।
सूत्रों के हवाले से खबर जब हमने एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से बात किया तो उन्होंने बताया कि कुछ दिन महीना में आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाते हैं जिससे बच्चे अनुपस्थित रहते हैं और बच्चों के माता-पिता भी बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र नहीं भेज पाते छोटे-छोटे बच्चे इधर-उधर घूमते रहते हैं आंगनवाड़ी सहायिका आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मनमानी के कारण बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्र नहीं जाते और न खेल पाते हैं ना ही पोषक आहार मिलता है इसका फायदा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका उठाते हैं और बच्चों की जो संख्या आंगनबाड़ी केंद्र में दर्ज के ली जाती है और वह प्रतिदिन पोषक आहार देना होता है उसको अपने कागजों में दर्ज और दुरुस्त कर लेते हैं और शासन से मिलने वाले भोजन और पोषक आहार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है उसे वह अपने निजी लाभ में उपयोग में लाते हैं अब देखना यह है कि शासन इस तरह के कार्यकर्ता और सहायिका पर किस तरह कार्रवाई करती है और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले कर्मचारियों पर शासन क्या कार्रवाई करती है
लोकमत 24 इस मामले पर लगातार नजर रखेगा और आपको आगे की जानकारी देता रहेगा।
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