लैलूंगा:13.01.2025। छेरछेरा को लेकर लैलूंगा क्षेत्र में भारी उल्लास
लैलूंगा|छेरछेरा को लेकर लैलूंगा भारी उल्लास देखने को मिला इस क्षेत्र के व्यक्ति अपने पारंपरिक त्योहार और अपने संस्कृति को लेकर बहुत ही सजक हैं वह अपने यहां धान धान की फसल को लेकर मनाया जाने वाला त्यौहार है इसमें हर व्यक्ति अपने घर से धान निकाल कर बच्चों को देते हैं चाहे वह अमीर हैं या गरीब सभी को ध्यान दिया जाता है

छेरछेरा को लेकर कुंजारा, रेड्डी, अंगेकेला ,सलखिया, रूड़ूकेला, भेड़ीमुड़ा जैसे गांव में देखने को खुद मिला और लैलूंगा में भी देखने को मिला
छेरछेरा का इतिहास
यदि आप छेरछेरा का इतिहास जानना चाहेंगे तो आपको नेट के माध्यम से मिल जाएगा लेकिन एक रोचक तथ्य है की भारत के जितने भी त्यौहार हैं वह अमावस्या या पूर्णिमा के दिन ही होते हैं चाहे वह साल के किसी भी दिन के अमावस्या या पूर्णिमा हो इस पूर्णिमा के दिन छेरछेरा त्यौहार मनाया जाता है
लैलूंगा क्षेत्र में गौरा नाच
छेरछेरा तू ले लूंगा के सभी क्षेत्र में मनाया जाता है उसके साथ जहां पर जिस गांव में आदिवासियों की जनसंख्या अधिक होती है वहां पर गौरा नाच की भी परंपरा है छेरछेरा के आसपास ही गौरा नाच किया जाता है इसमें एक देवगुड़ी होती है जो सड़क के किनारे होता है या चौक पर रात के समय देवताओं को कृतज्ञ जाहिर करने के लिए और देवताओं को भजन इत्यादि दिया जाता है जिसमें नारियल सुपारी और बहुत सारे उनके दिए जाते हैं
यह भी पूर्णिमा के दिन लैलूंगा क्षेत्र में मनाया जाता है जिसमें व्यक्ति अपना गौरा नाच करता है
गौरा नाच में रथ उत्सव या करमा नाच जैसा ही होता है लेकिन उसके वाद्य यंत्र के स्वर में परिवर्तन होता है मेरे अपने लैलूंगावासियों ,,
लैलूंगा|छेरछेरा को लेकर लैलूंगा भारी उल्लास देखने को मिला इस क्षेत्र के व्यक्ति अपने पारंपरिक त्योहार और अपने संस्कृति को लेकर बहुत ही सजक हैं वह अपने यहां धान धान की फसल को लेकर मनाया जाने वाला त्यौहार है इसमें हर व्यक्ति अपने घर से धान निकाल कर बच्चों को देते हैं चाहे वह अमीर हैं या गरीब सभी को ध्यान दिया जाता है



छेरछेरा का इतिहास
यदि आप छेरछेरा का इतिहास जानना चाहेंगे तो आपको नेट के माध्यम से मिल जाएगा लेकिन एक रोचक तथ्य है की भारत के जितने भी त्यौहार हैं वह अमावस्या या पूर्णिमा के दिन ही होते हैं चाहे वह साल के किसी भी दिन के अमावस्या या पूर्णिमा हो इस पूर्णिमा के दिन छेरछेरा त्यौहार मनाया जाता है
लैलूंगा क्षेत्र में गौरा नाच
छेरछेरा तू ले लूंगा के सभी क्षेत्र में मनाया जाता है उसके साथ जहां पर जिस गांव में आदिवासियों की जनसंख्या अधिक होती है वहां पर गौरा नाच की भी परंपरा है छेरछेरा के आसपास ही गौरा नाच किया जाता है इसमें एक देवगुड़ी होती है जो सड़क के किनारे होता है या चौक पर रात के समय देवताओं को कृतज्ञ जाहिर करने के लिए और देवताओं को भजन इत्यादि दिया जाता है जिसमें नारियल सुपारी और बहुत सारे उनके दिए जाते हैं
यह भी पूर्णिमा के दिन लैलूंगा क्षेत्र में मनाया जाता है जिसमें व्यक्ति अपना गौरा नाच करता है
गौरा नाच में रथ उत्सव या करमा नाच जैसा ही होता है लेकिन उसके वाद्य यंत्र के स्वर में परिवर्तन होता है मेरे अपने लैलूंगावासियों ,,





लोकमत 24 इस मामले पर लगातार नजर रखेगा और आपको आगे की जानकारी देता रहेगा।
लैलूंगा अस्पताल में वसूली और भ्रस्टाचार की जानकारी देनें के लिए संपर्क करें |
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