15.07.2025
रायगढ़, छत्तीसगढ़ |
जूटमिल थाना क्षेत्र की हालिया मारपीट की घटना अब सिर्फ दो पक्षों की लड़ाई नहीं रही, बल्कि अब यह मामला कानून, सियासत और ‘पावर गेम’ के जाल में उलझता नजर आ रहा है। पत्रकार मनीष सिंह ने पहले ही हमले और षड्यंत्र की आशंका जताते हुए पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा था, बावजूद इसके कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे उनके परिवार को झूठे मामले में फंसाने का मौका मिल गया।
इस घटना में एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाने वाले युवक बंटी सिंह ने सबसे पहले जूटमिल थाना प्रभारी को कॉल कर मौके की जानकारी दी और पुलिस को तत्काल पहुंचने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने एक हाथ में मोबाइल लेकर दूसरे हाथ से लोगों को रोकते हुए झगड़ा शांत कराने की कोशिश की।
लेकिन दुर्भाग्य देखिए —
जिसने पुलिस को खुद सूचना दी और झगड़ा शांत कराने की पूरी कोशिश की, उसे ही गंभीर धाराओं में आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया। वहीं, जो लोग झगडा कर रहे थे उन दोनों पक्षों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी।
क्या यह सिर्फ संयोग है या साजिश?
वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बंटी सिंह किसी को मारते नहीं, बल्कि रोकते हुए नजर आते हैं। इसके बावजूद उन पर BNS की कई गंभीर धाराएं लगा दी गईं। यह कार्रवाई कई सवाल खड़े कर रही है:
क्या यह बदले की भावना से प्रेरित मामला है?
क्या बंटी सिंह को टारगेट किया गया?
क्या पुलिस किसी के दबाव में काम कर रही है?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग:
मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, वीडियो को सबूत के रूप में गंभीरता से लिया जाए, और जो असली दोषी हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई हो।
जनता के सामने अब ये सवाल हैं —
क्या शांति बनाए रखने की कोशिश करना अब गुनाह है?
क्या पुलिस को सूचना देने वाले को ही फंसाया जाएगा?
क्या रायगढ़ में कानून का भय है या ‘पावर’ का खेल?

लोकमत 24 इस मामले पर लगातार नजर रखगा और आपको आगे की जानकारी देता रहेगा।
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