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8 महीने बाद भी इंसाफ अधूरा : राजमिस्त्री गणपत की करंट से मौत – प्रशासन चुप, अब अदालत से न्याय की उम्मीद…

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रायगढ़ 03/08/2025 *8 महीने बाद भी इंसाफ अधूरा : राजमिस्त्री गणपत की करंट से मौत – प्रशासन चुप, अब अदालत से न्याय की उम्मीद…*

*रायगढ़।* जिले में 6 नवंबर 2024 को हुई एक दर्दनाक और लापरवाहीजन्य दुर्घटना में 26 वर्षीय राजमिस्त्री गणपत सोनी की मौत हो गई थी। निर्माणाधीन भवन पर काम करते वक्त वह 11 केवी हाईवोल्टेज करंट की चपेट में आ गया। आज पूरा 8 महीना बीत जाने के बाद भी न तो किसी पर कार्रवाई हुई, न ही परिजनों को न्याय मिला। आखिर थक-हार कर परिवार ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है – जहां 4 अगस्त 2025 को सुनवाई तय है।

*मौत की पूरी कहानी – करंट, गिरावट और मौत :* मृतक गणपत सोनी, पिता द्वारका सोनी, पेशे से राजमिस्त्री, कोतरा रोड थाना क्षेत्र के कोसमनारा में एक निर्माणाधीन दोमंजिला मकान पर सपोस के ठेकेदार फणिंद्र पटेल के अधीन पिछले सात महीनों से कार्यरत था। यह मकान आनंद चौबे के स्वामित्व में था, जिसके ऊपर से 11 केवी हाईटेंशन लाइन गुजर रही थी।

6 नवंबर को दोपहर करीब 2 बजे जब गणपत खिड़की के ऊपर छज्जा ढलाई कर रहा था, तभी वह इस जानलेवा हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया। करंट लगते ही वह लगभग 20 फीट ऊंचाई से नीचे गिरा और गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तत्काल रायगढ़ मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

*निर्माण में अपराध स्तर की लापरवाही :* परिजनों ने सीधे तौर पर मकान मालिक, ठेकेदार और विद्युत विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि यह निर्माण बिना विद्युत विभाग की अनुमति के हाईवोल्टेज लाइन के ठीक नीचे किया जा रहा था, जिसे लेकर पहले ही चेतावनी दी गई थी।

लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य नहीं रोका गया। करंट से बचने के लिए प्लास्टिक पाइप का बचकाना उपाय किया गया था, जो अंततः गणपत की मौत का कारण बन गया।

*सरकारी तंत्र की चुप्पी – और अब न्यायालय ही अंतिम सहारा :* घटना के बाद 14 नवंबर 2024 को परिजनों ने कलेक्टर, एसपी और बिजली विभाग सहित तमाम संबंधित अधिकारियों को लिखित शिकायत सौंपी थी। लेकिन प्रशासन ने अब तक चुप्पी साध रखी है।

अब थके-हारे परिजनों ने रायगढ़ न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई 4 अगस्त को होनी है। पीड़ित परिवार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मुआवजा की मांग कर रहा है।

*अब सवाल जनता के बीच है…*

* क्या एक मेहनतकश मजदूर की जान की कोई कीमत नहीं?
* आखिर क्यों 8 महीने बाद भी दोषी खुलेआम घूम रहे हैं?
* क्या प्रशासन की संवेदनाएं सिर्फ रसूखदारों के लिए हैं?
* और जब अदालत को संज्ञान लेना पड़ा – तब भी क्या शासन जागेगा?

*अब न्याय की अंतिम उम्मीद – न्यायालय से :* सरकार और प्रशासन को चाहिए कि अदालती कार्यवाही से पहले ही कार्रवाई शुरू करे, दोषियों को गिरफ्तार कर दंडित करे, और पीड़ित परिवार को आर्थिक एवं न्यायिक सहायता तत्काल दे।

*यह सिर्फ गणपत की नहीं, हर उस मजदूर की लड़ाई है जो अपने खून-पसीने से इमारतें खड़ी करता है, लेकिन उसकी जान की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती।


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By Rakesh Jaiswal

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