लैलूंगा 05.07.2025 🔴 “अब या तो सरकारी नौकरी या सट्टा!” – छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला, क्रिप्टो-शेयर ट्रेडिंग पर ताला, नौकरी से हटाने तक का प्रावधानलैलूंगा जनपद अंतर्गत में सरकारी कर्मचारियों शेयर बाज़ार, क्रिप्टो करेंसी या डेरिवेटिव ट्रेडिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त
रायपुर, 5 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक और सख्त निर्णय लेते हुए शासकीय कर्मचारियों की दोहरी ज़िंदगी पर करारा प्रहार किया है। अब यदि कोई सरकारी कर्मचारी शेयर बाज़ार, क्रिप्टो करेंसी या डेरिवेटिव ट्रेडिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उसे सिर्फ नोटिस या चेतावनी नहीं, बल्कि सीधी सेवा से बर्खास्तगी का सामना करना पड़ सकता है। यह निर्णय 30 जून 2025 को प्रकाशित राज्य शासन के राजपत्र क्रमांक 516 के माध्यम से लागू किया गया है।इस अधिसूचना को संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लागू किया गया है, जिससे यह नियम अब पूरी तरह से कानून का रूप ले चुका है और समस्त शासकीय सेवकों के लिए अनिवार्य रूप से बाध्यकारी बन गया है।💹 “सरकारी कर्मचारी या दलाल?” – अब दोनों साथ नहीं चलेंगे!सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी शासकीय सेवक यदि “बार-बार शेयरों, प्रतिभूतियों, म्युचुअल फंड्स, डिबेंचर्स या क्रिप्टो करेंसी की खरीद-फरोख्त” में शामिल पाया जाता है – विशेषकर इन्ट्राडे ट्रेडिंग, फ्यूचर-ऑप्शन और BTST जैसे गतिविधियों में – तो यह ‘अवचार’ यानी अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा।इसका अर्थ है कि अब किसी भी क्लर्क, पटवारी, शिक्षक, इंजीनियर, नायब तहसीलदार, एसडीएम या आईएएस स्तर तक के अधिकारी को ट्रेडिंग की दुनिया से दूरी बनानी ही होगी, वरना उसे सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।📲 ऑफिस टाइम में ट्रेडिंग ऐप पर एक्टिव!राज्य सरकार ने इस कदम को उठाने के पीछे कई गंभीर कारणों का उल्लेख किया है। सरकार को ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि अनेक कर्मचारी ऑफिस टाइम में भी अपने मोबाइल पर ट्रेडिंग ऐप्स में व्यस्त रहते हैं। कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां सरकारी दफ्तरों में बैठे कर्मचारी इन्ट्राडे और ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे थे, जिससे न केवल उनका कार्य प्रभावित हो रहा था बल्कि गोपनीय सूचनाओं के दुरुपयोग की भी आशंका थी।सूत्रों के मुताबिक, कुछ अफसरों के क्रिप्टो पोर्टफोलियो में करोड़ों की उछाल देखी गई है। इनसाइडर जानकारी के आधार पर मुनाफा कमाने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप भी कुछ मामलों में सामने आए हैं।🧾 अब ‘नवीन पोर्टफोलियो मैनेजर’ बनने का सपना भूल जाइए!इस फैसले से सरकार ने साफ संकेत दे दिया है – अब सरकारी सेवा का मतलब है, पूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करना। दफ्तर के बाहर शेयर मार्केट में तिकड़म, ऑप्शन कॉल्स, टेलीग्राम चैनल के जरिये टिप्स या क्रिप्टो में लॉटरी लगाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई जगह नहीं बची है।राज्यपाल के नाम से जारी यह आदेश अब प्रदेश के सभी शासकीय सेवकों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। संविधान के अनुच्छेद 348(3) के अंतर्गत इसका अंग्रेज़ी अनुवाद भी राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है, जिससे कानूनी अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं बची है।👁🗨 ईओडब्ल्यू और आयकर विभाग की कड़ी निगरानीसूत्रों के अनुसार, शासन ने इस निर्णय के साथ-साथ कर्मचारियों की आर्थिक गतिविधियों पर निगरानी भी तेज कर दी है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और आयकर विभाग अब सरकारी कर्मचारियों के संदिग्ध खातों और पोर्टफोलियो पर विशेष नजर रखेंगे।मनी लॉन्ड्रिंग, बेनामी निवेश, और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन जैसे मामलों की जांच तेजी से आगे बढ़ेगी। सरकार का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति नहीं रोकी गई, तो आने वाले समय में यह पूरी सेवा व्यवस्था को भ्रष्ट और अविश्वसनीय बना सकती है।🙋 विरोध और समर्थन – दोनों सुर सुनाई दिएजहां कुछ कर्मचारी इस निर्णय को अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, वहीं अधिकतर वरिष्ठ अधिकारी इसे ‘बहुत देर से आया लेकिन स्वागतयोग्य फैसला’ मानते हैं। एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सरकारी सेवा कोई स्टॉक मार्केट नहीं है, और सरकारी कर्मचारी दलाल नहीं हो सकते। शासन ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है।”💬 सरकार का सख्त संदेश – नौकरी या बाजार, फैसला आपको करना है!राज्य शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अधिसूचना सिर्फ ‘वॉर्निंग’ नहीं बल्कि एक शुद्धिकरण प्रक्रिया की शुरुआत है। जो कर्मचारी अब भी क्रिप्टो या शेयर बाजार की दीवानगी में जी रहे हैं, उन्हें अब यह तय करना होगा – वे सरकारी सेवा में बने रहना चाहते हैं या बाजार की सनक में डूबना।अब तक जो “ऑप्शन गुरु”, “क्रिप्टो स्टार” या “इंस्टा फाइनेंस एक्सपर्ट” बनने का ख्वाब देख रहे थे, उन्हें दो ही रास्तों में से एक चुनना होगा – या तो सरकारी कुर्सी, या फिर बाजार की कुर्सी।📌 निष्कर्ष – अब सरकारी नौकरी है एक पूर्णकालिक प्रतिबद्धता!छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम देश भर में एक उदाहरण बन सकता है। यह फैसला न केवल सेवा की गरिमा को बचाने का प्रयास है, बल्कि भ्रष्टाचार और लालच की जड़ पर चोट भी है।संदेश स्पष्ट है – सरकारी नौकरी एक दायित्व है, न कि लाभ कमाने का निजी मंच। अब सेवा में ईमानदारी ही असली निवेश मानी जाएगी*

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