जामबहार पंचायत, जो कभी विकास के सपनों से परिपूर्ण थी, आज भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई है। यहां के ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत के विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा भेजी गई धनराशि का दुरुपयोग हो रहा है। पंचायत सचिव और सरपंच की मिलीभगत से बिना किसी ठोस काम के, पंचायत के खातों से बड़ी मात्रा में धन निकाला जा रहा है।

जामबहार पंचायत में सचिव और सरपंच की दादागिरी के कारण भ्रष्टाचार की दलदल और गहरी होती जा रही है, जिससे गाँव वाले बेहद परेशान हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार की धांधली और भ्रष्टाचार के कारण न केवल पंचायत का विकास रुका है, बल्कि जनता को भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत के विभिन्न प्रकल्पों में हो रहे इस भ्रष्टाचार की बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है, जिससे ग्रामीणों में गहरी नाराजगी और असंतोष है। अब ग्रामीण चाहते हैं कि इस गंभीर मामले की गहन जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि पंचायत को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सके और विकास कार्यों को सही दिशा में ले जाया जा सके।
जामबहार पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल: कार्यों का पैसा गायब, प्रोजेक्ट्स ठप:
जामबहार पंचायत में विकास कार्यों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अनाया गए कई प्रोजेक्ट्स के लिए आवंटित धनराशि का गबन हो चुका है, लेकिन उन पर काम शुरू ही नहीं हुआ। सरकारी फंड्स का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, और इसका सीधा असर गाँव के विकास पर पड़ रहा है। पंचायत के लोग इस स्थिति से काफी परेशान हैं, क्योंकि विकास कार्यों की अनदेखी हो रही है और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। अब गाँव के लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि वे किस पर विश्वास करें और अपने हक की मांग कैसे करें।
भ्रष्टाचार के मामलों की गहराई में झांकते हुए:
बोर खनन घोटाला:
सूत्रों के अनुसार, जामबहार पंचायत में किए गए बोर खनन कार्यों में किसी भी मानक का पालन नहीं किया गया। जियो टैगिंग और सत्यापन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं कागजी रूप से की गईं, जबकि वास्तविकता में कुछ भी नहीं हुआ। बोर खनन के स्थान पर घटिया सामग्री का उपयोग किया गया, जो केवल सरपंच और सचिव की मिलीभगत से संभव हो सका। इस घोटाले में न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ, बल्कि ग्रामीणों को भी पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों से वंचित कर दिया गया।
लेबर भुगतान घोटाला:
लेबर भुगतान में धांधली की कहानी भी कम चिंताजनक नहीं है। अधिकतर काम मैनुअल लेबर से कराने के बजाय जेसीबी मशीनों से कराया गया, और फर्जी मास्टरोल के आधार पर पेमेंट निकाले गए। यहां तक कि मृत व्यक्तियों के नाम पर भी लेबर भुगतान किया गया। सरपंच और सचिव अपने परिवार के नाम से और अपने निजी संबंधों का लाभ उठाकर धन निकाल रहे हैं। यह घोटाला न केवल वित्तीय अनियमितता का प्रतीक है, बल्कि इसे स्थानीय प्रशासन की अनदेखी और ग्रामीणों की समस्याओं के प्रति उदासीनता के रूप में भी देखा जा सकता है।
14वीं वित्त आयोग की राशि का दुरुपयोग:
14वीं वित्त आयोग द्वारा दिए गए धन का अधिकांश हिस्सा विकास कार्यों में नहीं, बल्कि कागजों में ही खत्म हो गया। कुछ कार्यों को केवल कागजी तौर पर ही पूरा दिखाकर राशि का आहरण किया गया। हर साल लाखों रुपये का स्टेशनरी खर्च, मरम्मत कार्य और अन्य फर्जी खर्चे दर्शाकर सरपंच और सचिव ने सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया।

जनता की प्रतिक्रिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़:
जामबहार पंचायत के ग्रामीण अब इस भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। पंचायत सचिव और सरपंच की जोड़ी ने खुद को राजा के रूप में स्थापित कर लिया है, लेकिन ग्रामीण अब उनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पंचायत सदस्यों को न तो वेतन समय पर मिलता है और न ही उन्हें विकास कार्यों की जानकारी दी जाती है।
ग्रामीणों के बीच चर्चा है कि सरपंच और सचिव की जोड़ी अल्गु चौधरी और जुम्मन शेख जैसी मशहूर जोड़ियों की तरह काम कर रही है। ऐसे हालातों में ग्रामीणों को न केवल विकास कार्यों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनकी रोजमर्रा की समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों ने अब पंचायत के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया है और वे चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रामीणों का संघर्ष यह साबित करता है कि अब वे और सहन नहीं करेंगे।
ये तोह बस सुरुआत हैं पिक्चर अभी बाकि है मेरे दोस्त इन भ्रष्ट सरपंच और सचिव की कहानी का सिलसिला जारी रहेगा अधिक जानकारी और ताज़ा अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें: www.lokmat24.in