02/12/2025**किसानों के घर दबिश… लेकिन बिचौलियों की गाड़ियाँ गायब!
आखिर धान आ कहां से रहा है? प्रशासन की कार्यवाही पर उठ रहे बड़े सवाल**




लैलूंगा। क्षेत्र में अवैध धान परिवहन को रोकने के नाम पर प्रशासनिक कार्रवाई तेज़ तो दिख रही है, लेकिन इसका असर सिर्फ़ किसानों तक सीमित होता नज़र आ रहा है। अधिकारियों की टीम गांव-गांव जाकर किसानों के घरों से कई-कई क्विंटल धान ज़ब्त कर रही है, मगर आश्चर्य की बात यह है कि वही अधिकारी बिचौलियों और कोचियों के बड़े नेटवर्क पर एक भी ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।
गांवों में यह चर्चा खुलेआम हो रही है कि
“किसान के घर से धान पकड़ना आसान है, लेकिन रात के अंधेरे में धड़ल्ले से दौड़ती बिचौलियों की गाड़ियाँ प्रशासन को दिखती क्यों नहीं?”
स्थानीय लोगों का आरोप है कि रोज़ाना देर रात पिकअप, ट्रैक्टर और मिनी-ट्रकों से बाहर राज्यों की ओर धान की सप्लाई हो रही है। कई बार ग्रामीणों ने खुद संदिग्ध गाड़ियों की तस्वीरें और वीडियो बनाकर प्रशासन को उपलब्ध भी कराए, लेकिन अब तक किसी गाड़ी को ज़ब्त करने या किसी बड़े दलाल की गिरफ्तारी की खबर सामने नहीं आई।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन सिर्फ़ किसानों पर दबिश डालने के बजाय असल “सप्लाई चैन” को पकड़े तो अवैध धान व्यापार की जड़ पूरी तरह उखाड़ दी जाए। लोगों में यह भी सवाल उठ रहा है कि
“जिस इलाके से किसानों के घरों तक पहुंचना इतना आसान है, वहीं से बिचौलियों के ट्रक आखिर अचानक गायब कैसे हो जाते हैं? क्या अवैध धान खुद-ब-खुद सड़कों पर चलकर बाहर जा रहा है?”
जनप्रतिनिधियों ने भी संकेत दिया है कि प्रशासन की कार्रवाई में गंभीर खामियां हैं। वे मांग कर रहे हैं कि बिचौलियों, वाहनों, और अवैध खरीद-बिक्री के लिए जिम्मेदार पूरे नेटवर्क पर एक संयुक्त, पारदर्शी, और निष्पक्ष अभियान चलाया जाए।
ग्रामीणों का साफ कहना है—
“जब धान किसानों के घर नहीं पैदा हो रहा, तो आखिर आ कहां से रहा है? और जा कहां रहा है? जवाब प्रशासन के पास होना चाहिए।





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