लैलूंगा: विकास का दावा, गंदगी का साया**
MODI जी सफाई अभियन चला रहे हैं और लैलूंगा नगर पंचायत में इंजिनियर उनकी अभियान को चौपट करने में लगा हैं , लैलूंगा के सभी विभागों में पेड़ पौधे बहोत बड़े बड़े हो गए हैं इनकी कटाई नहीं होती इंजिनियर की मनमानी कब तक चलेगी, लैलुंगा, जो कभी घने जंगलों का हिस्सा था, आज भी उसकी हालत कुछ अलग नहीं है। विकास की बयार तो चली, मगर गंदगी और कचरे के ढेर ने हर कोने में जगह बना ली है।
लैलूंगा के साफ़ सफाई के विषय में दिनेश पंडित जी के द्वारा एक कविता प्रस्तुत है –
**साँप और बिच्छू यहाँ के नए पहरेदार**,
लोगों का खून चूसते हैं, गंदगी के बिस्तरदार।
**जंगल के जंगल, और लैलुंगा में जंग**,
साफ-सफाई में पीछे, भ्रष्टाचार का ये संग।
**प्रशासन खड्डों में गिरा**, कोई नहीं इसे उठाने वाला,
बस भ्रष्टाचार का घड़ा भरा, और विकास का ढोल बजाने वाला।
रायगढ़ में डेंगू फैल चुका है, और लैलुंगा जैसे खुद बिमारी को जन्म दे रहा हो। पहले अस्पताल की बात हुई थी, अब तो पूरा शहर ही गंदगी का घर बन चुका है। नगर पंचायत इंजिनियर बस साफ-सफाई का नाटक कर रहे हैं।
नगर पंचायत के अधिकारियों की आंखें मानो देखती ही नहीं हैं, ऐसा लगता है जैसे उनकी आंखों की जगह पत्थर ने ले ली हो। यहां तक कि कोई अंधा भी कहेगा कि ये लोग भ्रष्टाचारी हैं। पैसे को पानी की तरह बहाते हैं और काम हवा में करते हैं। इंजीनियर का खेल काफी बड़ा है, और यह अब जनता की नजरों से छुपा नहीं है।
इंजिनियर हटाओ लैलूंगा बचाओ _
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