लैलूंगा :
शांतिनगर लैलूंगा सेतु पुल खारुन नदी पर बन रहे 6 करोड़ 40 लाख की लागत से उच्चस्तरीय पुल पर भ्रष्टाचार और सरकारी राशि के दुरुपयोग के गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान पर इतने बड़े पुल की कोई आवश्यकता नहीं थी, फिर भी इसे केवल एक विशेष व्यापारी को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया जा रहा है।
सेतु निगम द्वारा किए गए सर्वेक्षण को भी गलत बताया जा रहा है, जिससे इस पुल की जरूरत पर सवाल उठ रहे हैं। बारिश के मौसम में फाउंडेशन तक जलभराव नहीं होने के बावजूद, इस परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना और सर्वेक्षण में कई खामियां हैं।
इंजीनियर द्वारा स्टिमेट में हेरफेर:
सूत्रों के अनुसार, पुल निर्माण के इंजीनियर द्वारा लागत अनुमान (स्टिमेट) में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है, ताकि भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सके। लाखों का नहीं, बल्कि करोड़ों का घोटाला होने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि यह पुल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासनकाल में स्वीकृत हुआ था, लेकिन इंजीनियर द्वारा अधिक घोटाले करने के उद्देश्य से स्टिमेट को बढ़ा दिया गया।
वर्जन:- सजन गुप्ता (ठेकेदार ) – स्टिमेट के आधार पर बनाया जा रहा है, मुझे टेंडर मिला जैसे निर्देश मिला वैसे कार्य किया, बड़ी मिक्सचर मशीन की जरुरत नहीं रिटर्निंग वाल का काम हो रहा है मेरा ब्रिज 2 साल पहले से पूर्ण हो चूका था , मंदिर विवाद के बाद अब ए काम चालू हुआ है | मंदिर को बचने के लिए तोडा टेढ़ा – मेडा बन रहा है इसे कोई दिक्कत नहीं आएगा , मंदिर के सामने में हम पूरा मिटटी डाल के बज्रिकरण करेंगे , हम JKलक्ष्मी सीमेंट का इस्तमाल कर रहे हैं काम अच्छे से होगा |
प्राचीन शिव दिर का अस्तित्व खतरे में :
शांति नगर के इस पुल ने शिव मंदिर और केलो डैम तक पहुंचने का रास्ता भी बंद कर दिया है। लोगों की पूजा और नहाने की व्यवस्था ठप हो गई है। “अब जनता अपने पितरों की पूजा कहां करे?”, यह सवाल हर किसी के दिल में गूंज रहा है। मंदिर का अस्तित्व संकट में है और पुल की घटिया गुणवत्ता साफ नजर आ रही है। ऐसे में लोगों का कहना है कि “मंदिर का रास्ता छीन लिया, अब आस्था भी छीन लेंगे क्या?
“सरकार सुनती नहीं, ठेकेदार लूटता जा रहा है”
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि इस पुल में गुणवत्ता की कमी के बावजूद प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। शिकायतें करने के बाद भी SDM और तहसीलदार ने कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। “यह पुल सरकार की ‘अंधी कमाई का जरिया’ बन गया है,” स्थानीय लोगों का कहना है। उनकी राय में “रपटा पुल ही काफी था” , लेकिन भ्रष्टाचारियों ने बड़ा पुल बनाकर जनता के पैसों की लूट मचा दी है।
“मामला मुख्यमंत्री तक, फिर भी भ्रष्टाचार का खेल जारी”
यह मामला मुख्यमंत्री माननीय विष्णु देव साय जी तक जा चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का कहना है कि सरकार से न्याय की उम्मीद थी, लेकिन यहां तो न्याय भी बिक गया है।” पुल की लागत में हुई लूट के पीछे राहत की जगह सिर्फ राहत का इंतजार” बचा है।
लैलूंगा शांति नगर पुल: विकास या भ्रष्टाचार का प्रतीक?
यह पुल जनता के लिए राहत का साधन होना चाहिए था, लेकिन भ्रष्टाचारियों ने इसे राजनीति और लूट का केंद्र बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या शांति नगर के लोग कभी इस पुल के सही निर्माण और मंदिर की आस्था को वापस पा सकेंगे, या यह सत्ता और धन की लालच में हमेशा खोया रहेगा?
क्या जनता की आवाज़ सुनाई देगी? या सिर्फ पुल के साथ सपने भी ढहते रहेंगे?
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