लैलूंगा: रायगढ़ जिले के लैलूंगा उपार्जन केंद्र में किसानों के साथ खुलेआम धोखाधड़ी और लूट का खेल चल रहा है। भोले-भाले किसानों से न केवल अवैध वसूली की जा रही है, बल्कि उन्हें अपनी मेहनत के काम खुद करने पर मजबूर किया जा रहा है।
किसानों से जबरन करवाई जा रही है मजदूरी:
धान के बोरे धोने से लेकर वजन तक का काम किसानों से ही करवाया जा रहा है। मंडी प्रबंधक अपने खर्चे बचाकर इस पैसे को अपनी जेब में डाल रहे हैं। किसानों से कहा जाता है कि जब तक वे ये काम नहीं करेंगे, उनका धान स्वीकार नहीं किया जाएगा।
40.600 किलो की जगह 41.200 किलो धान का खेल:
उपार्जन केंद्र में किसानों से प्रति क्विंटल धान पर अधिक वजन लिया जा रहा है। सौ बोरी पर एक बोरी धान का कमीशन लिया जा रहा है। यह सब प्रबंधक और सर्वेयर की मिलीभगत से हो रहा है।
घूसखोरी का खेल जारी:
धान को अमानक बताकर सर्वेयर पैसे मांगते हैं, और जब तक पैसे नहीं मिलते, किसानों का धान अस्वीकार कर दिया जाता है। मजबूर किसान अपनी मेहनत की कमाई से घूस देकर ही अपने धान को मानक बनवा पाते हैं। नियमों के अनुसार किसानों को धान तौलने और मजदूरी के लिए राशि दी जानी चाहिए। लेकिन प्रबंधन द्वारा लाखों रुपए हड़प लिए जा रहे हैं। जो किसान विरोध करता है, उसे मानसिक दंड और दबाव देकर चुप करा दिया जाता है।
कलेक्टर करेंगे सख्त कार्रवाई:
रायगढ़ जिले के कलेक्टर ने कहा है कि अगर किसी किसान से बेवजह पैसे मांगे जाते हैं या उन्हें परेशान किया जाता है, तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
सरकार और प्रशासन को इन घटनाओं पर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति “ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा” का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों को उनका हक दिलाने में प्रशासन कब तक असफल रहेगा?
किसानों से जुड़ी इन समस्याओं का समाधान जल्द होना चाहिए ताकि उनका विश्वास प्रशासन और सरकार पर बना रहे।
लोकमत 24 इस मामले पर लगातार नजर रखेगा और आपको आगे की जानकारी देता रहेगा।
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