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Fri. Aug 8th, 2025

शांति नगर लैलूंगा सेतु पुल: राजनीति और भ्रष्टाचार के चपेट में PART-1

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लैलूंगा :

शांति नगर, लैलूंगा (जिला रायगढ़) में खारुन नदी पर बन रहा पुल अब भ्रष्टाचार और राजनीतिक खेल का नया केंद्र बन चुका है। इस पुल का निर्माण पूर्व  मुख्यमंत्री रमनसिंह के कार्यकाल में 1 करोड़ 25 लाख का स्वीकृत था, लेकिन पूर्व  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे बढ़ाकर 6 करोड़ कर दिया। । और विष्अणु देव साय जी सायद अबतक इस भ्रष्टाचार पे नजर नहीं पड़ी | चौंकाने वाली बात यह है कि यह पुल मुख्य सड़क पर नहीं बल्कि बाईपास रोड पर बन रहा है, फिर भी इसपर लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत डाली जा रही है। पुल की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा है कि सिर्फ पैसा खाने के लिए ये निर्माण जारी है। 

” विश्वसनीय सूत्रों से ” इंजीनियर और SDO अपनी मनमानी कर रहे हैं। पुलिया भी उलटी-सीधी बन रही है, और एस्टीमेट भी सही नहीं है। ठेकेदार का कहना है कि वह जैसा इंजीनियर कहता है, वैसा ही काम करता है। आगे पढ़िए –

कुछ खास कथन पढ़ें इस पुल के इतने बड़े आकर में बन्ने से किसको फ़ायदा और किसको नुकसान –

  • ” विश्वसनीय सूत्रों से “WARD वासियों और SDO के बिच बात विवाद और मार पिट तक की नौबत आ गयी थी मामला थाना तक पहुच गया था |
  • दुर्गा पूजन के समय सैकड़ों महिलावों द्वारा कलश उठाने का प्रथा शिव मंदिर से अव वो भी ख़तम होने की कगार पर |
  • वार्ड वासियों के लाख मना  करने पर ही ये पुल बन रहा है |
  • भोर 4 बजे कार्तिक नहाने की प्रथा पे बड़ी बाधा हिन्दू परेशान किसी की एक न सुनी |
  • जो रपटा पुल 30 लाख में बन जाता वह 6 करोड़ किये बर्बाद |
  • फ़ायदा – CONGRESS के  एक बड़े  व्यापारी  ………..  को लाभ पहुचाने का उदेश्य …

वर्जन(Bite) : रमेश पटनायक जी  के बयान का सारांश:

  • पुल निर्माण कांग्रेस शासन में हुआ है, जबकि बीजेपी शासन में 1.25 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी। कांग्रेस शासन में इस परियोजना की लागत बढ़कर 7 करोड़ हो गई। 
  • रमेश पटनायक का आरोप है कि जनता के पैसों का दुरुपयोग हुआ है, और निर्माण में गुणवत्ता की कमी है।
    पुल बनने से सिव मंदिर की सिद्धि समाप्त होने की बात कही गई। पहले इस नदी का उपयोग स्नान, पशुओं का चरना, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता था।
  • उन्होंने कहा कि पेटी कांट्रेक्टर के जरिए निर्माण हो रहा है, जिसमें इंजीनियरों की कोई निगरानी नहीं है, और घटिया मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • पुल बनने के बाद अंतिम संस्कार और धार्मिक समारोहों की पारंपरिक व्यवस्था बाधित हो गई है, जिसमें हरियाली तीज और छठ पूजा जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

आगे पार्ट 2 में …..

  • प्राचीन  शिव दिर का अस्तित्व खतरे में :
  • “सरकार सुनती नहीं, ठेकेदार लूटता जा रहा है”
  • “मामला मुख्यमंत्री तक, फिर भी भ्रष्टाचार का खेल जारी”
  • लैलूंगा शांति नगर पुल: विकास या भ्रष्टाचार का प्रतीक?

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By Rakesh Jaiswal

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